जम्मू एयरबेस पर हुए ड्रोन हमले से जुड़े कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. इस बीच गृह मंत्रालय ने एनआईए को इस मामले की जांच सौंप दी है. एनआईए ने जांच शुरू भी कर दी है और जम्मू कश्मीर पुलिस से इस केस में अभी तक हुई जांच के सभी दस्तावेज तलब किए हैं. एनआईए बहुत जल्द मामला दर्ज कर जांच को आगे बढ़ाएगी.
इस बीच सूत्रों से पता चला है कि हमले में हाई ग्रेड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ है. यह RDX या TNT हो सकता है. जांच में पता चला है कि हमले में इस्तेमाल ड्रोन को सीमा पार से ऑपरेट किया जा रहा था. एयरफोर्स स्टेशन को गूगल अर्थ पर देखा जा सकता है, इसलिए इलाके की रेकी करने का भी कोई मलतब नहीं है.
जानकारी के मुताबिक आतंकियों के निशाने पर सिर्फ एयरफोर्स स्टेशन ही नहीं था, बल्कि 26-27 जून की रात को कालूचक मिलिट्री एरिया में भी दो संदिग्ध ड्रोन देखे गए थे. दोनों ड्रोन अलग अलग जगहों पर देखे गए. जवानों ने इन्हें गिराने के लिए गोली भी चलाए लेकिन यह अंधेरे का फायदा उठाकर गायब हो गए. रक्षा प्रवक्ता के मुताबिक अगर जवानों ने मुस्तैदी नहीं दिखायी होती तो आतंकी एक और हमला करने में सफल हो जाते.
एयरफोर्स स्टेशन पर हमला 27 जून की रात 1.37 पर हुआ था. पहले हमले के 6 मिनट बाद दूसरा ड्रोन हमला किया गया. जांच एजेंसियों को हमले में इस्तेमाल ड्रोन का कोई हिस्सा नहीं मिला. आशंका है कि हमले के बाद दोनों ड्रोन वापस सुरक्षित लैंड किया. पहले भी हथियार के लिए ड्रोन का इस्तेमाल हो चुका है, पहली बार हमले के लिए भारत में ड्रोन का इस्तेमाल किया गया है.